Chaand Ka Munh Terha Hai
Chaand Ka Munh Terha Hai

Chaand Ka Munh Terha Hai

  • Authour
    Gajanan Madhav Muktibodh

  • Pages
    296

  • Condition
    Good

  • Edition
    Edition: 27th

  • Publisher
    Vani Prakashan

  • Year
    2024

Availability: Many In Stock
Regular price
Rs. 355.00
Regular price
Rs. 395.00
Sale price
Rs. 355.00

Product Description

 

Brand: Vani Prakashan

 

Binding: paperback

Number Of Pages: 296

Release Date: 08-03-2024

Details: चाँद का मुँह टेढ़ा है - "मुक्तिबोध की लम्बी कविताओं का पैटर्न विस्तृत होता है। एक विशाल म्यूरल पेण्टिंग— आधुनिक प्रयोगवादी; अत्याधुनिक, जिसमें सब चीज़ें ठोस और स्थिर होती हैं; किसी बहुत ट्रैजिक सम्बन्ध के जाल में कसी हुई ... अगर किसी ने स्वयं मुक्तिबोध की ज़बानी उनकी कोई रचना सुनी हो, तो... कविता समाप्त होने पर ऐसा लगता है जैसे हम कोई आतंकित करनेवाली फ़िल्म देखने के बाद एकाएक होश में आये हों। चूँकि वह पेण्टर और मूर्तिकार हैं अपनी कविताओं में—और उनकी शैली बड़ी शक्तिशाली, कुछ यथार्थवादी मेक्सिकन भित्ति चित्रों की-सी है।... वह एक-एक चित्र को मेहनत से तैयार करते हैं, और फिर उसके अम्बार लगाते चलते हैं। एक तारतम्य जैसे किसी ट्रैजिक नाट्य मंच पर एक उभरती भीड़ का दृश्य- पूर्वनियोजित प्रभाव के साथ खड़ी.... इसके प्रतीक प्राचीन गाथाओं के टुकड़े जान पड़ते हैं। मगर इन टुकड़ों में सन्दर्भ आधुनिक होता है। यह आधुनिक यथार्थ कथा का भयानकतम अंश होता है... मुक्तिबोध का वास्तविक मूल्यांकन अगली, यानी अब आगे की पीढ़ी निश्चय ही करेंगी; क्योंकि उसकी करुण अनुभूतियों को, उसकी व्यर्थता और खोखलेपन को पूरी शक्ति के साथ मुक्तिबोध ने ही अभिव्यक्त किया है। इस पीढ़ी के लिए शायद यही अपना ख़ास महान कवि हो।"—शमशेर बहादुर सिंह पाठकों को समर्पित है पुस्तक का नया संस्करण।

EAN: 9789357753227

Package Dimensions: 8.3 x 5.9 x 0.8 inches

Languages: Hindi

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